Experience of Deepak patidar

दीपक पाटीदार का संक्षिप्त परिचय

दीपक पाटीदार ,ग्राम सुन्द्रैल जिला धार म.प्र. के सामान्य कृषक  परिवार के सुपुत्र हैं। इनकी प्रारंभिक स्कुली शिक्षा (5 वी ) ग्राम के ही एक छोटे से स्कुल में हुई। उसके पश्चात का सम्पूर्ण शैक्षणिक अध्ययन इन्दौर मे हुआ । इन्होने वर्ष 2000 मे कृषि महाविद्यालय इन्दौर से कृषि स्नातक (B.Sc.Ag.) की डिग्री प्राप्त की । कृषक परिवार होने के कारण इनका शुरू  से हि झुकाव कृषि आधारित व सहयोगी व्यवसायो मे रहा । इन्होने बकरी पालन को एक नवीन उपक्रम, कृषि आधारित, नगद व्यवहार, जिरो मार्केटिंग को ध्यान में रखते हुए बकरी पालन व्यवसाय को चुना। वर्ष 2000 में केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान द्वारा आयोजित प्रशिक्षण  में प्रशिक्षण  लेकर फरवरी 2001 में  बकरी पालन का कार्य प्रारंभ किया। एवं वर्ष  2008 में संस्थान द्वारा बकरी पंडित का पुरस्कार प्रदान किया गया। 

दीपक पाटीदार के बकरी पालन के व्यक्तिगत अनुभव

मेरे द्वारा प्रारंभ में बकरीयो की लोकल नस्ल के साथ कार्य प्रारंभ किया गया, व्यवसाय के डेढ वर्ष तक कई परेशानियों  का सामना करना पडा, और बहुत अधिक आर्थिक हानि भी उठानी पडी और व ऐसा लगने लगा की बकरीयों को षेड के अन्दर पालना संभव नही है। परन्तु केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिको ने मेरा मनोबल बढाया और मैनें नए सिरे से व्यवसाय को पुनः सुव्यवस्थित करने का विचार बनाया।
संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिको द्वारां कई सुझाव दिये, जिससे नस्ल परिवर्तन कर किसी भारतीय उन्नत नस्ल की प्रजाति को रखकर, एक प्रजनन फार्म बनाए, साथ ही फार्म उत्पादित बकरीयों एवं बकरों को जीवीत भार के आधार पर बेचने के लिए मार्केटिंग करे एवं सभी छोटे बडें बकरी पालक मिलकर सहयोग से काम करे प्रमुख थी। साथ ही संस्थान के स्वास्थय विभाग सें समय समय पर बकरीयों की बिमारीयों एवं उनके उपचार के लिए भी समय समय पर सहयोग प्राप्त हुआ इससे बकरीयों एवं बच्चों की मृत्युदर में काफी कमी आई। इसके साथ ही संस्थान के द्वारा उन्नत नस्लो की बकरीयों एवं नर बिजु बकरें भी प्रदान किये गयंे जिससे व्यवसाय एवं फार्म मे काफी फायदा हुआ एवं आर्थिक लाभ भी प्राप्त हुआ। सिरोही नस्ल की बकरियो का चयन किया जिससे काफी अच्छा परिवर्तन हुआ और लाभ प्राप्त हुआ संस्थान के विभीन्न वैज्ञानिको के सहयोग एवं सुझाव से आज मेरा व्यवसाय लाभकारी साबित हुआ है।
इसके अलावा संस्थान द्वारा समय समय पर आयोजित वैज्ञानिक-कृषक संगोष्ठि द्वारा भी बहुत अधिक उपयोगी जानकारीयां प्राप्त होती रहती है, जो कि व्यवसाय कें सफल संचालन में सहायता प्रदान कर रही है।

वर्तमान मे मेरे बकरी फार्म पर सिरोही, बरबरी,जमुनापारीए सोजत एवं बीटल नस्ल की 500 बकरीयां एवं बच्चे हैं। बकरीयों एवं बच्चों को बेचने की प्रक्रिया जीवीत भार के आधार पर हैं एवं 400 से 800 रु. प्रति किलो भार के बीच में बिक्री की जा रही है।

हमारे द्वारा फार्म के आसपास के अन्य बकरी पालको को भी हम लगातार बिजु बकरो से बकरीयों को ग्याबिन करने की व्यवस्था, टिकाकरण,बिमारीयो मे इलाज, डि-वर्मिग आदि प्रकार का सहयोग प्रदान किया जाता है। साथ ही उन्हे पशु पालन विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं एवं एन.जी.ओ. ( NGO) के साथ मिलकर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में ग्रामीणो को बकरी पालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं। साथ ही अभी तक 10000 प्रशिक्षणार्थी एवं ग्रामीण जन फार्म का भ्रमण कर चुके है।

 

 

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